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Sunday, November 7, 2021
Tuesday, October 26, 2021
Saturday, October 9, 2021
संस्कृत अध्ययन के लाभ , Benifits of Learning Sanskrit
संस्कृत अध्ययन के लाभ
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संस्कृत संस्कार की भाषा -
संस्कृत भाषा के पढ़ने से विद्यार्थियों में संस्कारों का अनायास ही प्रवेश हो जाता है क्योंकि इसमें न केवल भौतिक वस्तुओं संबंधी ज्ञान विज्ञान मौजूद रहता है बल्कि विद्यार्थी को आध्यात्मिक व्यवहारिक ज्ञान भी सीखने को मिलता है |
संस्कृत में आध्यात्मिक ज्ञान विज्ञान -
संस्कृत भाषा में लिखे गए वेदों, उपनिषदों,दर्शनों,आरण्यक ग्रंथों में आध्यात्मिक ज्ञान विज्ञान प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है|
यदि हम वेदों की बात करें तो ऋग्वेद का मंत्र कहता है -
द्वा सुपर्णा सयुजा सखाया समानं वृक्षं परिषस्वजाते।
तयोरन्यः पिप्पलं स्वाद्व्त्त्यनश्नन्नन्यो अभिचाकशीति ।। १/१६४/२०
अर्थात् एक वृक्ष पर दो पक्षी सखा भाव से बैठे हैं जिसमें से एक वृक्ष के मधुर फलों का भोग कर रहा है व दूसरा शान्तभाव से उसे चुपचाप देख रहा है | इस मंत्र में पक्षियों के माध्यम से ईश्वर,जीव,प्रकृति का वर्णन किया गया है। जो पक्षी फलों का उपभोग कर रहा है वह जीव है जो पक्षी शांत होकर चुपचाप देख रहा है वह ईश्वर है व वृक्ष प्रकृति रूप है |
इसी प्रकार यजुर्वेद के एक मंत्र में ईश्वर का स्वरूप वर्णन किया गया है
स पर्यगाच्छुक्रमकायमव्रणमस्नाविरम् शुद्धमपापविद्धम् ।
कविर्मनीषी परिभूः स्वयंभूर्याथातथ्यतोsर्थान् व्यदधाच्छाश्वतीभ्यः समाभ्यः ॥ ४०/८
वेद के इस मंत्र में कहा गया है कि वह ईश्वर सब जगह मौजूद, शुद्ध स्वरूप,काया से रहित है,घाव व नस नाड़ियों के बंधन से रहित है, पाप की वासनाओं से रहित वह ईश्वर वेद रूपी काव्य का रचयिता है। वह मननशील,सर्वत्र व्यापक स्वयं से ही स्वयं का मालिक है अन्य उसके ऊपर कोई का मालिक नहीं है,उसने जैसे पिछली सृष्टि में उसने वेद का ज्ञान दिया था उसी प्रकार है इस सृष्टि में भी वेद का ज्ञान दे रहा है |
उपनिषदों में अध्यात्म विद्या -
ईशावास्योपनिषद के प्रारम्भ में कहा गया है
ईशा वास्यमिदं सर्वं यत् किञ्च जगत्यां जगत् ।
तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम् ॥
अर्थात इस संसार में जो कुछ भी है वह ईश्वर के द्वारा बसा हुआ है । हे मनुष्य ! तुम संसार की वस्तुओं का त्याग पूर्वक उपभोग करो अन्य किसी के धन का लालच ना करो । इसी प्रकार कठोपनिषद में नचिकेता की कथा आती है जहां पर नचिकेता समस्त सांसारिक प्रलोभनों को छोड़कर केवल ईश्वर की ही प्राप्ति के लिए उत्सुक दिखाई पड़ता है । बृहदारण्यक उपनिषद् में याज्ञवल्क्य व गार्गी का आध्यात्मिक विषयों को लेकर के बहुत ही सुंदर चर्चा विचार शास्त्रार्थ होता है |
दर्शनों में आध्यात्मिक ज्ञान विज्ञान - यदि हम दर्शनों की बात करें तो वेदांत दर्शन में ईश्वर के स्वरूप का वर्णन किया गया है । वैशेषिक दर्शन में स्थूल व सूक्ष्म प्रकृति का वर्णन उपलब्ध होता है ।
योग दर्शन में अष्टांग योग अर्थात् यम, नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्याहार,धारणा,ध्यान,समाधि की प्रक्रिया के द्वारा व्यक्ति ईश्वर की प्राप्ति किस प्रकार कर सकता है इसका विस्तृत वर्णन वहां उपलब्ध होता है । ईश्वर, जीव, प्रकृति के संबंधों की विवेचना सांख्यदर्शन का विषय है । सत्य को किन प्रमाणों के आधार पर तर्क व प्रमाण का प्रयोग करके किस प्रकार जाना जा सकता है इसका विस्तृत व्याख्यान न्यायदर्शन में उपलब्ध होता है ।
व्यवहारिक ज्ञान-विज्ञान -
हमारे शास्त्रों में आध्यात्मिक ज्ञान-विज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान विज्ञान भी उपलब्ध होता है । संसार में रहकर व्यक्ति को किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए? ब्रह्मचर्य आश्रम में रहते हुए विद्यार्थी ब्रह्मचर्य पालन के साथ-साथ किन किन नियमों का पालन करके विद्याध्ययन को सम्यक् प्रकार से कर सकता है ? अपनी शारीरिक,आत्मिक,मानसिक उन्नति कर सकता है इसका वर्णन मनुस्मृति आदि ग्रंथों में उपलब्ध होता है ।
गृहस्थ आश्रम में रहते हुए गृहस्थी का क्या व्यवहार होना चाहिए ? पति-पत्नी,पिता-पुत्र आदि का आपसी व्यवहार क्या हो ? सगे संबंधियों के साथ किस प्रकार का व्यवहार हो ? समाज,राष्ट्र के साथ किस प्रकार का व्यवहार हो इन सब का वर्णन विस्तार से मनुस्मृति आदि ग्रंथों में विस्तार से ऋषियों ने कर दिया गया है । गृहस्थ आश्रम के बाद वानप्रस्थ आश्रम में रहते हुए व्यक्ति अपनी आत्मिक उन्नति किस प्रकार कर कर सकता है इसका वर्णन उपलब्ध होता है |
इसी ज्ञान के आधार पर प्राचीन काल में हमारे पूर्वज संतान का निर्माण करते थे । महारानी सीता ने वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में रहते हुए लव कुश का निर्माण किया था । रानी मदालसा की कथा हमारे इतिहास में उपलब्ध होती है जिसने इसी संस्कार विज्ञान को जानकर के अपनी इच्छा के अनुसार ऋषि संतानों का निर्माण किया व बाद में राजा के कहने पर राजगद्दी संभालने के लिए राजपुत्र का भी निर्माण किया था । इसके अतिरिक्त भी अनेकों इस प्रकार के उदाहरण हमारे इतिहास में उपलब्ध होते हैं | महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने के द्वारा लिखी गई संस्कार विधि में सोलह संस्कारों का वर्णन किया गया है जिसमें से 15 संस्कार मानव उन्नति के लिए हैं । यह सारा का सारा जीवन निर्माण का साहित्य मनुष्य निर्माण का साहित्य आध्यात्मिक व्यवहारिक ज्ञान ज्ञान से परिपूर्ण साहित्य संस्कृत भाषा में विद्यमान है इससे यह स्पष्ट रूप से कहा जा सकता है की संस्कृत भाषा संस्कार की भाषा है । संस्कृत भाषा के पढ़ने से संस्कारों का प्रवेश स्वयमेव व्यक्ति के अंदर हो जाता है उसके लिए अलग से अधिक प्रयास करने की आवश्यकता नहीं रहती ।
संस्कृत भाषा में भौतिक विज्ञान -
आध्यात्मिक विज्ञान के साथ भौतिक विज्ञान भी हमारे ग्रन्थों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है ।
रोगों के निवारण के लिए आयुर्वेद का ज्ञान विज्ञान चरक,सुश्रुत आदि ग्रंथों में उपलब्ध होता है जिसमें अर्थ क्रिया,शस्त्र,छेदन,भेदन लेपन,चिकित्सा,निदान,औषध,पथ्य,शारीर,देशकाल और वस्तु के गुणों का वर्णन किया गया है ।
अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञान के लिए मनुष्य को धनुर्वेद पढ़ना चाहिए जहां पर राजकार्य से लेकर शस्त्र अस्त्र विद्या नाना प्रकार के व्यूहों का अभ्यास,शत्रुओं से लड़ाई के समय क्या किया करनी होती है ? आदि का विस्तृत वर्णन उपलब्ध होता है
इसके अतिरिक्त गान्धर्ववेद जिसको गान विद्या भी कहते हैं उसमें स्वर, राग,रागिनी,समय,ताल,ग्राम,तान,वादित्र,नृत्य,गीत आदि का वर्णन उपलब्ध होता है ।
अर्थवेद जिसको शिल्प विद्या भी कहते हैं में पदार्थ,गुण विज्ञान,क्रिया कौशल नानाविध पदार्थों का निर्माण सम्बन्धी विद्या उपलब्ध होती है ।
ज्योतिष शास्त्र सूर्य सिद्धांत आदि में बीज गणित,अंकगणित,भूगोल,खगोल,भूगर्भ विद्या है ।
कौटिल्य अर्थशास्त्र आदि में अर्थसंबंधी व्यवहारों का विस्तृत वर्णन उपलब्ध होता है ।
इस ज्ञान विज्ञान का प्रयोग हम रामायण,महाभारत आदि ग्रंथों में देखते हैं जहां पर राम लंका में जाने के लिए समुद्र सेतु का निर्माण करते हैं वहीं लंका से अयोध्या तक आने के लिए वह पुष्पक विमान का प्रयोग करते हैं । रामायण महाभारत दोनों कालों में बहुत ही भयानक अस्त्रों का प्रयोग किया गया था जिसमें बड़े पैमाने पर जन हानि हुई । इस प्रकार के अस्त्र-शस्त्र ओं का निर्माण बिना विकसित ज्ञान विज्ञान के संभव नहीं हो सकता । इस प्रकार हम देखते हैं कि हमारा भौतिक ज्ञान-विज्ञान भी प्राचीन काल में पर्याप्त विकसित था |
संपूर्णता की भाषा -
आधुनिक ज्ञान-विज्ञान केवल भौतिक विषयों की ही जानकारी देता है वहां पर व्यवहारिक या आध्यात्मिक विषयों को या तो पढ़ाया ही नहीं जाता या बहुत छोटे स्तर पर थोड़े से रूप में पढ़ाया जाता है इसलिए उस विद्या से पढ़े हुए आधुनिक लोग भौतिक विज्ञान से तो परिचित होते हैं परंतु व्यवहारिक आध्यात्मिक रूप से उनमें न्यूनता पाई जाती है जबकि संस्कृत भाषा सभी विषयों को परिपूर्ण करती है यहां पर न केवल भौतिक विज्ञान विज्ञान उपलब्ध होता है बल्कि आध्यात्मिक ज्ञान विज्ञान व्यवहारिक ज्ञान विज्ञान उपलब्ध होता है इसलिए यह संपूर्णता से मनुष्य का निर्माण करती है केवल एक पक्षीय निर्माण नहीं करती ।
वैज्ञानिक व सरल भाषा संस्कृत -
आधुनिक वैज्ञानिकों ने इसे कंप्यूटर के लिए सबसे उपयोगी भाषा माना है । इस भाषा में प्रत्येक शब्द का वैज्ञानिक विवेचना की जा सकती है जैसे अमुक शब्द की यह प्रकृति है यह प्रत्यय या यह शब्द इस प्रकार बना है तो क्यों बना है जैसे पृथ्वी को पृथ्वी क्यों कहा जाता है ? इस विषय में निरुक्त में लिखा है प्रथनात् पृथ्वी अर्थात् फैली होने के कारण इसे पृथ्वी कहा जाता है।| इसी प्रकार व्रश्चनात् वृक्ष अर्थात् काटा जाने से वृक्ष को वृक्ष कहा जाता है । इस प्रकार विज्ञान सम्मत भाषा होने से ही यह भाषा संसार की सबसे सरल भाषा बन गई क्योंकि जो भाषा जितनी सुव्यवस्थित होती है वह ग्रहण करने में उतनी ही तरल होती है ।
समस्त सुखों की प्राप्ति का मूल कारण
संस्कृत भाषा में उपस्थित ज्ञान विज्ञान को ग्रहण करके उसके अनुसार आचरण करने से मनुष्य अपने समस्त लौकिक पारलौकिक के उद्देश्यों की पूर्ति कर सकता है । यदि व्यक्ति सभी सांसारिक सुखों की सिद्धि करना चाहता है तब भी उसको इस ज्ञान के अनुसार आचरण करना ही होगा और यदि व्यक्ति पारलौकिक अर्थात मोक्ष की सिद्धि करना चाहता है तब भी इस ज्ञान के अनुसार चलना होगा । सभी सुखों की सिद्धि के लिए हमारे प्राचीन शास्त्रों में उपस्थित ज्ञान-विज्ञान व उसके अनुसार आचरण ही एकमात्र उपाय है जिसकी उद्घोषणा यजुर्वेद का यह वचन करता हुआ कहता है
नान्यः पन्था विद्यतेsयनाय । ३१/१८
अर्थात् वेदज्ञानानुसार ईश्वर प्राप्ति के अतिरिक्त सुखों की प्राप्ति का कोई दूसरा मार्ग नहीं है ।
Sunday, September 26, 2021
Tuesday, August 31, 2021
Monday, August 30, 2021
Sunday, August 29, 2021
Wednesday, July 14, 2021
Tuesday, April 20, 2021
Monday, April 19, 2021
स्म योजयत/ निष्कासयत| Online Exam
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Sunday, April 18, 2021
दशमी- समास अभ्यासपत्रम् १ + २
Saturday, April 17, 2021
Friday, April 16, 2021
Tuesday, April 13, 2021
Thursday, April 8, 2021
Wednesday, April 7, 2021
Tuesday, April 6, 2021
Sunday, April 4, 2021
Saturday, April 3, 2021
Online Exam on सङ्ख्याः | -१
परीक्षा आवडल्यास कृपया आमच्याया Blog ला Follow करा , ज्यामुळे तुम्हाला आमच्या यानंतरच्या post/Online Exam लगेच मिळतील.
२०२०-२०२१ बोर्डाने दिलेल्या मराठीच्या प्रश्नपेढीतील भाषाभ्यास चे उत्तर.
वर्ग नववी व दहावी साठी आवश्यक तो भाषाभ्यास …
२०२०-२०२१ बोर्डाने दिलेल्या प्रश्नपेढीतील मराठी कुमारभारतीतील भाषाभ्यासाची उत्तर खालील प्रमाणे आहेत.
कर्मधारय समास
नीलकमल - नील असे कमल
महाराष्ट्र - महान असे राष्ट्र
भाषांतर - अन्य भाषा
पांढराशुभ्र - शुभ्र असा पांढरा
घननीळ - घना सारखा निळा
श्यामसुंदर - सुंदर असा शाम
कमलनयन - कमळासारखे डोळे
नरसिंह - सिंहासारखा नर
विद्याधन - विद्या हेच धन
रक्तचंदन - चंदनासारखा रक्त/ लाल
घनश्याम - घनासारखा शाम
काव्यामृत - काव्यरूपी अमृत
पुरुषोत्तम - उत्तम असा पुरुष
महादेव - महान असा देव
इतरेतर द्वंद्व समास
बहिणभाऊ - बहीण आणि भाऊ
आईवडील - आई आणि वडील
नाकडोळे - नाक आणि डोळे
सुंठसाखर - सुंठ आणि साखर
कृष्णार्जुन - कृष्ण आणि अर्जुन
विटीदांडू - विटी आणि दांडू
कुलुपकिल्ली - कुलूप आणि किल्ली
स्त्री-पुरुष - स्त्री आणि पुरुष
वैकल्पिक द्वंद्व समास
बरेवाईट - बरे किंवा वाईट
सत्यासत्य - सत्य किंवा असत्य
चारपाच - चार किंवा पाच
तीनचार - तीन किंवा चार
खरेखोटे - खरे किंवा खोटे
समाहार द्वन्द्व समास
अंथरूणपांघरूण - अंथरूण, पांघरूण वगैरे
भाजीपाला भाजी, पाला वगैरे
कपडालत्ता कपडा, लत्ता वगैरे
अन्नपाणी - अन्न, पाणी वगैरे
पालापाचोळा - पाला, पाचोळा वगैरे
केरकचरा - केर, कचरा वगैरे
द्विगु समास
पंचारती - पाच आरत्यांचा समूह
त्रिभुवन - तीन भूवनांचा समूह
नवरात्र - नऊ रात्रींचा समूह
सप्ताह - सात दिवसांचा समूह
अष्टाध्यायी - आठ अध्यायांचा समूह
पंचपाळे - पाच पाळ्यांचा समूह
द्विदल - दोन दलांचा समूह
बारभाई - बारा भाईंच्या समूह
त्रैलोक्य - तीन लोकांचा समूह
शब्दसिद्धी
अवघड - उपसर्गघटित शब्द
अवकळा - उपसर्गघटित शब्द
भरजरी - उपसर्गघटित शब्द
भरधाव - उपसर्गघटित शब्द
भरदिवसा - उपसर्गघटित शब्द
निरोगी - उपसर्गघटित शब्द
निनावी - उपसर्गघटित शब्द
निकोप - उपसर्गघटित शब्द
अतिरेक - उपसर्गघटित शब्द
अतिशय - उपसर्गघटित शब्द
उपसंपादक - उपसर्गघटित शब्द
उपमुख्याध्यापक - उपसर्गघटित शब्द
उपप्रमुख - उपसर्गघटित शब्द
उपवास - उपसर्गघटित शब्द
बेडर - उपसर्गघटित शब्द
बेफिकीर - उपसर्गघटित शब्द
बेपर्वा - उपसर्गघटित शब्द
बिनचूक - उपसर्गघटित शब्द
बिनतक्रार - उपसर्गघटित शब्द
बिनहरकत - उपसर्गघटित शब्द
नाराज - उपसर्गघटित शब्द
नापसंत - उपसर्गघटित शब्द
प्रत्ययघटित शब्द
खुदाई - प्रत्ययघटित शब्द
लढाई - प्रत्ययघटित शब्द
लढाई - प्रत्ययघटित शब्द
टिकाऊ - प्रत्ययघटित शब्द
लढाऊ - प्रत्ययघटित शब्द
झोपाळू - प्रत्ययघटित शब्द
लाजाळू - प्रत्ययघटित शब्द
दयाळू - प्रत्ययघटित शब्द
दुकानदार - प्रत्ययघटित शब्द
जमीनदार - प्रत्ययघटित शब्द
गुलामगिरी - प्रत्ययघटित शब्द
कामगिरी - प्रत्ययघटित शब्द
मानसिक - प्रत्ययघटित शब्द
सामाजिक - प्रत्ययघटित शब्द
आर्थिक - प्रत्ययघटित शब्द
लौकिक - प्रत्ययघटित शब्द
आनंदित - प्रत्ययघटित शब्द
प्रेरित - प्रत्ययघटित शब्द
जडत्व - प्रत्ययघटित शब्द
गुरुत्व - प्रत्ययघटित शब्द
तत्त्व - प्रत्ययघटित शब्द
अभ्यस्त
लाललाल - अभ्यस्त
हळूहळू - अभ्यस्त
तुकडेतुकडे - अभ्यस्त
धंदाबिंदा - अभ्यस्त
कामबिंग - अभ्यस्त
घरोघरी - अभ्यस्त
कडकड - अभ्यस्त
झटपट - अभ्यस्त
खटपट - अभ्यस्त
मागोमाग - अभ्यस्त
वटवट - अभ्यस्त
गल्लोगल्ली - अभ्यस्त
समानार्थी शब्द
वृक्ष - झाड तरु
आकाश -गगन
मित्र - सखा सोबती
वारा - वायू
काया - शरीर देह
मार्ग - वाट रस्ता
हर्ष - आनंद
कीर्ती - प्रसिद्धी
मती - बुद्धि
नदी - सरिता
पृथ्वी - अवनी
कान - कर्ण
फुल - पुष्प
आवेश - आवेग
होड - आवड
आर्जव - विनंती आग्रह
बडगा - दांडा दंड लाकूड
वेळ - काळ
रात्र - निशा
माणूस - मनुष्य
मुख - तोंड
गोड - मधुर
पान - पण
झरा- निर्झर
आयुष्य - जीवन
विरुद्धार्थी शब्द
निरर्थक x अर्थपूर्ण
गुण x अवगुण, दोष
अवरोह x आरोह
बिकट x सरला
दुमत x एकमत
ज्ञानी x अज्ञानी
सुबोध x दुर्बोध
अल्पायुषी x दीर्घायुषी
सूर्योदय x सूर्यास्त
आधुनिक x प्राचीन
मालक x नोकर
कमाल x किमान
तिमिर x प्रकाश, तेज
स्मरण x विस्मरण
दुष्कर्म x सत्कर्म, पुण्य
संक्षिप्त x विस्तीर्ण
सुपीक x नापीक
कृपा x अवकृपा
ऊन x सावली
सजातीय x विजातीय
शब्दसमूहासाठी एक शब्द
ज्याला मरण नाही असा - अमर
केलेले उपकार जाणणारा - कृतज्ञ
समाजाची सेवा करणारा - समाजसेवक
कुठलीही अपेक्षा न ठेवता - अनपेक्षित
संपादन करणारा - संपादक
ज्याचे आकलन होत नाही असे -अनाकलनीय
महिन्यातून एकदा प्रकाशित होणारे - मासिक
लिहिता वाचता न येणारा - निरक्षर
पसरवलेली खोटी बातमी - अफवा
दुसऱ्यावर अवलंबून असलेला - परावलंबी
अपेक्षा नसताना - अनपेक्षित
आठवड्यातून एकदा प्रसिद्ध होणारे - साप्ताहिक
कोणाचाही आधार नसलेला - निराधार
ज्याला कोणताही शत्रू नाही असा तो - अजातशत्रू
केलेले उपकार न जाणणारा - कृतघ्न
वाक्प्रचार
१. कटाक्ष असणे- खास लक्ष देणे
आई वडील नेहमी मुलांच्या बाबतीत कटाक्ष असतात.
२. कानोसा घेणे - अंदाज लावणे
आभाळ आले की आपण पाऊस पडणार असा कानोसा घेतो.
३. हुकूमत गाजवने - अधिकार गाजवणे
स्वतःच्या वस्तूवर आपण आपले हुकूमत गाजवतो.
४. कुचेष्टा करणे - टिंगल करणे
वडील माणसांची कुचेष्टा करणे योग्य नाही.
५. रुंजी घालणे -भोवती चक्कर मारणे
मधमाशा फुलातील मध गोळा करण्यासाठी फुलां भोवती रुंजी घालतात.
६. पेव फुटणे - एखाद्या गोष्टीची संख्या वाढणे
झाडावर चिमण्यांचा पेव फुटला.
७. व्यथित होणे - दुःखी होणे
शेजारचा रमेश हा नेहमी खेळत हसत राहणारा पण अचानक तो बिमार पडल्यामुळे सर्वजण व्यथित झाले.
८. गुडघे टेकणे - हार मारणे, शरण जाणे
कोविड-१९ समोर आपल्याला गुडघे टेकायचे नाहीत.
९. खनपटीला बसणे - सारखे विचारात राहणे
सीमाला घरीयायला उशीर झाल्यावर आई खनपटीला बसली.
१०. तगादा लावणे - पिच्छा पुरवणे मागे लागणे
वाढदिवसाला मला सायकल मिळावी म्हणून मी वडिलांकडे तगडा लावला.
११. कान देऊन ऐकणे - लक्षपूर्वक ऐकणे
संस्कृतचे सर शिकवताना आम्ही कान देऊन ऐकतो.
१२. निकाल लावणे - संपवणे
तिघांसाठी केलेल्या पोह्यांचा उन्नातीने एकटीनेच निकाल लावला.
१३. पिच्छा पुरवणे - पाठलाग करणे
पोलिसांनी चोरीकारून पाळणाऱ्या चोराचा पिच्छा पुरवला.
१४. डोळे विस्फारून बघणे - आश्चर्याने बघणे
संकेतला परीक्षेत पूर्ण गुण मिळाले आणि सर्वजण डोळे विस्फारून पाहत राहिले.
१५. लळा लावणे - खूप प्रेम करणे
आई मुलांना लळा लावते.
१६. तुटून पडणे - गर्दी जमा होणे.
५०% दारात मिळणाऱ्या साड्यांच्या सेलवर महिला तुटून पडल्या.
१६. आनंद गगनात न मावणे - खूप आनंद होणे
वर्गातील ४० विद्यार्थ्यांनी मराठीत १०० गुण मिळवले आणि शिक्षकांचा आनंद गगनात मावेनासा झाला.
१७. खस्ता खाने - खूप कष्ट करणे
आई वडिलांनी मला शिकवण्यासाठी खूप खस्ता खाल्ल्या.
१८. कसब दाखवणे - कौशल्य दाखवणे
विराट कोहली ने खेळत आपले कसब दाखवले.
१९. कंठस्नान घालने - ठार मारणे
छ. शिवाजी महाराजांनी अफजल खानाला कंठस्नान घातले.
२०. प्रतीक्षा करणे - वाट पाहणे
कोविड-१९ वर १००% प्रभावी लसीची आजही जनता प्रतीक्षा करत आहे.
२१. समरस होणे - एकरूप होणे
शिरवाडकर यांच्या कविता वाचताना आजही मन समरस होते.
२२. कास धरणे - अनुसरण करणे
आदर्श जीवन जगण्यासाठी रामायणाची कास धरणे आवश्यक वाटते.
२३. ताकास तूर लागू न देणे - गुपित पाळणे
निर्मलला अभ्यासा विषयी विचारले असता, तो ताकास तूर लागु देत नाही.
२४. इनाम मिळणे - बक्षीस मिळणे
संस्कृत श्लोक पाठ केल्याने शिक्षकांनी मला इनाम दिला.
२५. मान देणे - आदर करणे , सन्मान करणे
शिक्षकांना मान देणे विद्यार्थ्यांचे कर्तव्यच आहे.
२६. कित्ता गिरवणे - सराव करणे
परीक्षा जवळ आली की विद्यार्थ्यांना लेखनाचा कित्ता गिरवावा लागतो.
२७. धीर न सुटणे - हिम्मत न करणे
कोविड -१९ च्या या लढाईमध्ये आपल्याला धीर सोडायचा नाही.
२८. हृदयाला साद घालणे- मनापर्यंत पोचणे/पोहोचणे
मराठीच्या सरांनी शिकवलेली कविता विद्यार्थ्यांच्या हृदयाला साद घालते.
२९. पाठ फिरवणे - मदत न करणे
पुन्हा पुन्हा भारतावर अतिरेकी हल्ला करणाऱ्या पाकिस्तानने भारतीय लस मागितली तर पाठ फिरवायला हरकत काय?
३०. विहार करणे - संचार करणे
शाळा सुटली की, आम्ही मनसोक्त नदीच्या काठाने मुक्तपणे विहार करत असू.
३१. अचंबित होणे - चकित होणे
नेहमी शांत राहणाऱ्या निशांत ने उत्कृष्ट भाषण देऊन सर्वांना अचंबित केले.
३२. तुळशीपत्र ठेवणे - त्याग करणे
कोविड -१९ च्या या काळात डॉक्टर्स , सफाई कामगार आणि पोलिसांनी जणू आपल्या जीवनावर तुळशीपत्रच ठेवले आहे.
३४. तोंडसुख घेणे - टोचून बोलून आनंद घेणे, खूप बडबडणे
शेजारच्या काकूंना तोंडसुख घ्यायला खूप आवडते.
३५. सार्थक होणे - धन्यता वाटणे
मुलीला जिल्हाधिकारी झालेले पाहून , लक्ष्मीच्या जीवनाचे जणू सार्थक झाले.
३६. हातात हात असणे - सहकार्य करणे
मित्रांचा हातात हात असताना संकटांना घाबरण्याचे काही कारण नसते.
३७. गगनभरारी घेणे - खूप प्रगती करणे
रिक्षा चालवणाऱ्या बबनला आपल्या मुलाने गगनभरारी घ्यावी अशी तीव्र इच्छा होती.
३८. आकाशी झेप घेणे - मन ध्येयाकडे उंचावणे
आकाशी झेप घेणे ही सर्वांची इच्छा असते.
३९. शिरोधार्य मानणे - आदरपूर्वक स्वीकार करणे
मोठ्यांचा आशीर्वाद नेहमी शिरोधार्य मानवा.
४०. कडूस पडणे - अंधार पडणे
सूर्य मावळतीला गेला की कडूस पडण्यास सुरुवात होते.
४१. निकराने लढणे - सर्व ताकतीने लढणे
कोविड-१९ ला हरवायचे असल्यास आपल्या सर्वांना निकराने लढणे आवश्यकच आहे.
४२. मुग्ध होणे - तल्लीन होणे
हल्ली सर्वच जण मोबाईलमध्ये मुग्ध झालेले दिसतात.
४३. मुहूर्तमेढ रोवणे - पाया घालने
ऐकले आहे की, जपानने सर्वात आधी 5G च्या चाचणीची मुहूर्तमेढ रोवली आहे.
४४. रणशिंग फुंकणे - सुरुवात करणे
पूर्वी युद्धाला रणशिंग फुंकण्यासाठी तोफेच्या आवाजाची मदत घेत असत.
४५. क्षीण होणे - नष्ट होत जाणे
मोबाईल टावरमुळे पक्ष्यांच्या अनेक प्रजाती क्षीण होत आहेत.
४६. निष्कासित होणे - हाकलवून लावणे
एखाद्या कडून निष्कासित होणे ही अपमानास्पद गोष्ट असते.
४७. पारख करणे - निरीक्षण करणे
नेहमी नीट पारख करूनच वस्तू खरेदी करावी.
४८. पित्त खवळणे - खूप राग येणे.
पाकिस्तान पुन्हा पुन्हा भारतावर हल्ले करतो हे पाहून सैनिकांचे पित्त खवळते.
४९. हुकुमत गाजवणे - हक्क गाजवणे.
मुलगी वडिलांवर हुकुमत गाजवते.
५०. कानोसा घेणे - अंदाज घेणे.
वडिल सहलीला पाठवतील की नाही? याचा कानोसा घेण्यास मी आईला सांगितले.
५१. कुचेष्टा करणे - टिंगल करणे.
वरिष्ठांची कुचेष्टा करणे योग्य नाही.
५२. तावडीत सापडणे - कचाट्यात सापडणे.
खूप शोध केल्यावर चोर पोलिसांच्या कचाट्यात सापडलाच.
५३. काडीचाही त्रास नसणे - थोडासाही त्रास नसणे.
आई वडिलांना आज्ञाधारी मुलांचा काडीचाही त्रास नसतो.
५४. वीरगती प्राप्त होणे - शत्रूंशी लढताना मरण येणे.
युद्धात भारतीय सैनिकांना वीरगती प्राप्त झाली आहे.
५५. खूणगाठ बांधणे - दृढ निश्चय करणे.
आपण कोविड-१९ रूपी शत्रूला नष्ट करायचेच अशी खुणगाठ भारतीयांनी बांधावी व नेहमी मास्क वापरावा.
५६. सटकी मारणे - हळूच निघून जाने.
महेशने नाटकाचा सराव न झाल्याने सभागृहातून सटकी मारली.
Tuesday, March 30, 2021
Friday, March 26, 2021
चित्रं दृष्ट्वा नाम चिनुत| नवमी कक्षा|
चित्रं दृष्ट्वा नाम चिनुत| नवमी कक्षा|
चित्रं दृष्ट्वा नाम चिनुत | दशमी कक्षा|
चित्रं दृष्ट्वा नाम चिनुत | दशमी कक्षा|
Wednesday, March 24, 2021
Online Exam of कारकम्
Monday, March 15, 2021
FAQs
- Will Sanskrit marks affect percentage in Class 8?
Yes, sanskrit marks affect on percentage in class 8th 9th and 10th aslo, so keep studying sanskrit. ask us if you have any problem about sanskrit
- How many marks to get 10/10 in Sanskrit?
If you have 100 marks paper to answer, then you have to score 100 then you will get 10/10. 50 marks paper then score 50 to get 10/10